तख़्त दमदमा साहिब के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने नवनिर्वाचित सांसद अमृतपाल सिंह का बचाव करते हुए बयान दिया है। हरप्रीत का कहना है की भारत में अगर किसी का विचार दुसरा होता है तो उसे NSA के तहत जेल में बंद कर दिया जाता है। ‘हिन्दू राष्ट्र ज़िंदाबाद’ का नारा संसद में दिया जाता है तो उनका सम्मान होता है तो जब किसी सिख नौजवान ने सिख राष्ट्र की बात कर दी तो इसमें गलत क्या है? हरप्रीत सिंह ने आगे कहा की वह सभी धर्मों की इज़्ज़त करते हैं और किसी भी धर्म के प्रति गलत बोलना अच्छी बात नहीं है।
बीते दिनों हमने एक रिपोर्ट दी थी जिसमे आपको बताया था की नवनिर्वाचित सांसद और वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह ने खालसा राज की मांग को दोहराया था। अमृतपाल की मां ने एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने कहा था की वह (अमृतपाल) खालिस्तान का समर्थक नहीं है। उनका बेटा पंजाब के हक़ की बात करता है और वहाँ के नौजवानों के हक़ की बात करता है। इसी बयान के बाद अमृतपाल सिंह के सोशल मीडिया X के हैंडल से पोस्ट किया गया था जिसमे उन्होंने अपनी मां के द्वारा दिए गए बयान को गलत बताया और कहा की वह हमेशा खालसा पंथ के साथ खड़े रहेंगे।
‘सिख राष्ट्र’ या ‘खालिस्तान’?
जत्थेदार हरप्रीत सिंह का बयान जो आया है वह थोड़ा उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है। अगर आप हमारे पिछले रिपोर्ट को पढ़ेंगे जिसमे हमने बताया था की अमृतपाल सिंह का सीधा स्टैंड है खालसा राज और खालिस्तान बनाने को लेकर वह अपनी मां से पहले खालसा पंथ के साथ खड़े मिलेंगे यह बात भी उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखी थी। उसके बाद हरप्रीत सिंह का ऐसा बयान आना की उस सिख नौजवान ने बस सिख राष्ट्र की बात की थी, थोड़ा अटपटा लगता है। इस विवाद की जड़ सिर्फ सिख राष्ट्र की बात करना भर नहीं है।
अमृतपाल के अनुसार खालसा राज और खालसा राज का मतलब होता है खालिस्तान। अमृतपाल ने भारत को सिख राष्ट्र बनाने की बात ही नहीं कही। हिन्दुओं के द्वारा दिया गया नारा ‘हिन्दू राष्ट्र’ भारत को बनाने की बात करता है जबकि सिख समुदाय के कट्टरपंथी नेता ‘खालिस्तान’ नामक अलग राष्ट्र लेने की बात करते हैं। यह दोनों अपने आप में अलग है। ऐसे में कौन क्या और क्यों बयान दे रहा है, इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हरप्रीत सिंह क्या बयान दे रहे हैं या फिर ये बयान से पहले क्या उन्होंने अमृतपाल की राय जाननी चाही है इस पर सवाल करना ज़रूरी हो जाता है?
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