बीते बुधवार को झारखंड से एक बड़ी खबर आई। यह खबर दुबारा हमें बिहार की याद दिलाती है जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था और उसके लगभग 9 महीने बाद फिर से मांझी को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बन गए थे। कुछ ऐसा ही झारखण्ड में भी देखने को मिला है जहां 5 महीने पहले हेमंत सोरेन के ऊपर ईडी ने कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद झारखण्ड में हेमंत सोरेन के करीबी चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
बीते बुधवार को झारखण्ड के मौजूदा मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को इस्तीफा सौंप दिया है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन के दुबारा मुख़्यमंत्री बनने के रास्ते खुल गए हैं। हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ लेंगे। हेमंत सोरेन को दुबारा मुख्यमंत्री बनाने का फैसला INDI अलायन्स और उनके विधायकों की सहमति और बैठक के बाद संपन्न हुआ। चंपई सोरेन के निवास पर ही इसको लेकर मीटिंग रखी गयी जहां निर्विरोध रूप से हेमंत सोरेन को दुबारा विधायक दल का नेता चुना गया।
बीते 28 जून को झारखण्ड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को ज़मानत दी। गौरतलब है की लगभग 5 महीने पहले हेमंत सोरेन के ऊपर ईडी ने कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद से इसका खूब विरोध किया गया। हेमंत सोरेन के ऊपर ईडी ने ज़मीन अधिग्रहण से समबन्धित धन उगाही को लेकर केस दर्ज किया था जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने किया विरोध
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस खबर के बाहर आने के बाद सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया। जिसमे उन्होंने लिखा “झारखंड में चंपई युग समाप्त। परिवारवादी पार्टी में परिवार के बाहर के लोगों का कोई राजनितिक भविष्य नहीं है। काश आंदोलनकारी भगवान् बिरसा से प्रेरित होकर भ्रष्टाचारी हेमंत सोरेन जी के खिलाफ खड़े हो पाते?”
चंपई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के बहुत बड़े और कद्दावर नेता माने जाते हैं। वह पार्टी के साथ दशकों से हैं और उन्होंने हेमंत के पिता , शिबू सोरेन के साथ शुरू से झारखण्ड की राजनीति में अपनी सहभागिता दी है। मौजूदा समय में जिस तरह से उन्होंने इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन का रास्ता साफ़ किया है उससे उनका आकलन बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से करना उचित प्रतीत होता है। साल 2014 के मई महीने में ठीक इसी तरह से जीतनराम मांझी पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे और लगभग 9 महीने पद पर बने रहने के बाद दुबारा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया था। हालांकि उस दरम्यान नीतीश कुमार किसी केस में जेल नहीं गए थे बल्कि उन्होंने स्वयं जीतनराम मांझी को मुखयमंत्री बनाने का फैसला किया था।
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