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खिलजी ने जलाया और सरकार ने बनाया, बहुत पुरानी है नालंदा विश्वविद्यालय की गाथा

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प्राचीन काल में दुनिया को ज्ञान-विज्ञान से परिचित करवाने वाली नालंदा विश्वविद्यालय को आज फिर से पुनर्जीवित कर दिया गया। लगभग 800 सालों के बाद ऐसा मौक़ा आया है जब नालंदा खंडहर कहे जाने वाले विश्वविद्यालय को आज फिर से पूरा विश्व नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जानेगा। 17 देशों के सहयोग और परस्पर साथ मिलने के बाद भारत सरकार ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैम्पस खोला है। इस कैम्पस का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को किया। इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और 17 देशो से आये हुए राजदूत मौजूद थे।

बहुत खूबसूरत है नालंदा विश्वविद्यालय का ये कैम्पस

नालंदा विश्वविद्यालय का ये कैम्पस ऐतिहासिक नगर राजगीर की पांच पहाड़ियों में से एक वैभारगिरि की तलहटी में बनाया गया है। यह कैम्पस लगभग 455 एकड़ में फैला हुआ है जिसे बनाने की लागत लगभग 1750 करोड़ रुपये है। हालांकि यह कैम्पस अभी अधूरा है और इसमें कुछ काम अभी बाकी है। इस कैम्पस में 24 इमारत बताई जाती है वहीं इसका नज़ारा और यहां की प्राकृतिक छटा काफी खूबसूरत है। भवनों के आस-पास जलाशय का निर्माण किया गया है जो देखने में काफी सुन्दर दिखाई पड़ता है। कुल मिलाकर इस पुरे कैम्पस में आधुनिकता के साथ-साथ प्राचीन परम्परा का भी ख्याल रखा गया है।

पीएम मोदी ने सहयोग देने वाले देशों को धन्यवाद दिया

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैम्पस के निर्माण में सहयोग देने वाले सभी देशों को धन्यवाद कहा। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा की नालंदा सिर्फ भारत का पुनर्जागरण नहीं है बल्कि इससे कई देशों की विरासत जुडी हुई है। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने X पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा की आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ख़ास है। हमारे स्वर्णिम इतिहास को लेकर भी नालंदा का एक मजबूत सम्बन्ध है। आने वाले समय में शैक्षणिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए यह विश्वविद्यालय युवाओं की मदद करेगा।

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